हिंसा और सांप्रदायिक तनाव से देश भर में बढ़ रही चिंताओं का सामना
भारत में सांप्रदायिक हिंसा से देश और प्रदेश के भाग में हो रही हताशा का अंदाजा
हरियाणा और मणिपुर में बोए गए नफरत के बीज
हरियाणा के मेवात के नूह, यूपी के बरेली, वाराणसी समेत देश और प्रदेश भर में हो रही सांप्रदायिक हिंसा से जहां एक और करोड़ों रुपए की संपत्ति को नुकसान पहुंचा तो वही दिलो की दूरियां और ज्यादा बढ़ गई है। हर जगह नफरत का ऐसा बीज बोया गया है की अब नेता उसकी फसल काट रहे है। कट्टरपंथी लगातार देश और उत्तर प्रदेश को आग में झुलसा रहे है। हालात दिन वा दिन बिगड़ते जा रहे है। लेकिन क्या कभी आपने सोचा ये सब करके आप अपनी जिंदगी भर की कमाई कोर्ट कचहरी में लगा देते है। अब पुलिस वीडियो और फोटो के करिए दंगाइयों की पहचान करेगी। उन पर गंभीर धाराओं में मुकदमें लिखे गए है। ऐसे दंगाइयों को जेल जाना पड़ेगा। घरों पर बुलडोजर चलेगा। ऐसे दंगाइयों पर देश द्रोह लगेगा और इस जवानी में सारी जिंदगी जेल में बितानी होगी। घर, मकान, खेती और जेवरात सब बिक जायेंगे इस नफरत की चिंगारी में।
आज नही तो कल सारे दंगाई पकड़े जाएंगे, सभी दंगाइयों की पहचान हो गई है। नूह में दंगाइयों की सारी करतूते कैमरे में कैद हो गई है। अब इन दंगाइयों को कोई नहीं बचा पाएगा। पुलिस के पास पक्के सबूत मौजूद है। सोशल मीडिया से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल मीडिया हर जगह पत्थरबाजों के वीडियो चल रहे है। कैसे भीड़ लोगो की जान ले रही है। सरकारी और निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। पुलिस वालो की हत्या को का रही है। ये सबकुछ कैमरे में कैद है। अब कोई नही बचेगा। किसी के माई बाप किसी को नहीं बचा पायेंगे।
देश में हरियाणा और मणिपुर दोनो सुलग रहे है। दंगाइयों को देखते गोली मारने के आदेश दिए गए है लेकिन उसके बावजूद हिंसा रुक नही रही है। कभी किसी का घर, किसी की दुकान, किसी का वाहन जलाया जा रहा है, लूटा का रहा है। ये हम सब किस ओर जा रहे है।
देश के कई राज्यों में जो हालात है अब जरूरत है केंद्र सरकार को राजनीति से ऊपर उठकर कोई ठोस कदम उठाने की। अगर सरकार कोई सख्त निर्णय नही लेगी तो ये चिंगारी और भड़केगी।
इंटरनेट बंद करने से काम नहीं चलेगा। क्या सरकार को लगता है सोशल मीडिया पर पाबंदी लगाने से हालात सामान्य हो जायेंगे। ऐसा नहीं , आज के दौर में जब गोदी मीडिया दिन रात प्रधानमंत्री मोदी के गुणगान में लगा रहता है तो सच सामने लाने की हिम्मत यही सोशल मीडिया करता है। ऐसे में सोशल मीडिया पर पाबंदी लगाना बहुत आसान है लेकिन सच को दबाना, छुपाना सबसे बड़ा अपराध भी है और इसके लिए सिर्फ सरकारें जिम्मेदार है।
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