ईरान में महिलाओं के उत्पीड़न की लड़ाई लड़ने वाली पत्रकार और एक्टिविस्ट नर्गिस मोहम्मदी को नोबेल पीस प्राइज से सम्मानित किया गया है| जानिए कौन हैं महिलाओं की हक की लड़ाई के लिए 13 बार गिरफ्तार हुईं नर्गिस मोहम्मदी|

ईरान में महिलाओं के उत्पीड़न की लड़ाई लड़ने वाली पत्रकार और एक्टिविस्ट नर्गिस मोहम्मदी को नोबेल पीस प्राइज से सम्मानित किया गया है| नरगिस महिलाओं की हक की लड़ाई के लिए 13 बार गिरफ्तार हुईं| 31 साल की जेल हुई और उन्हें 154 कोड़ों की सजा सुनाई गई| ईरान में उनको सरकार के खिलाफ आवाज उठाने के लिए गिरफ्तार किया गया| वर्तमान में वो जेल में है|

नोबेल कमेटी का मानना है कि उन्होंने निडर होकर महिलाओं के हक और अधिकारों के लिए आवाज आई| कैदियों की आवाज बनी| ईरानी पुलिस नरगिस मोहम्मदी पर ईरान सरकार के खिलाफ दुष्प्रचार करने का आरोप लगा चुकी है|

जेल में बंद हैं 51 साल की नर्गिस

महिलाओं की आजादी और उनके हक के लिए आवाज उठाने वाली नरगिस ने किताब भी लिखी है जिसका नाम है- व्हाइट टॉर्चर| जेल में रहते हुए उन्होंने कैदियों का जो दर्द महसूस किया उसे किताब में दर्ज किया| कैदियों के अनुभवों को दर्ज करने वाली किताब और महिलाओं की आवाज उठाने के लिए उन्हें 2022 में उन्हें रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (RSF) के साहस पुरस्कार से भी नवाजा गया|

मौत की सजा खत्म करने की वकालत

नर्गिस महिलाओं के अधिकारों की आवाज बुलंद करने के साथ मौत की सजा को खत्म और कैदियों की अधिकारों की भी वकालत करती रही है| मानवाधिकारों से जुड़े इन्हीं कामों के कारण नर्गिस ईरान सरकार की आंखों में चुभती रही है| नतीजा कई बार जेल जाना पड़ा है|

महिलाओं के लिए 33 सालों के संघर्ष का सफर

फिजिक्स की पढ़ाई करने वाली नर्गिस ने शुरुआती तौर में बतौर इंजीनियर करियर बनाया| इसके बाद उन्होंने अखबारों के लिए लिखना शुरू किया| धीरे-धीरे उन्होंने महिलाओं के अधिकारों के लिए लिखना और सरकार से सवाल करने शुरू किए| इसकी शुरुआत 1990 के दशक से हुई. पहली बार उन्हें 2011 में गिरफ्तार किया गया| लेकिन वो न तो रुकीं और न ही डरी|

कैदियों के परिवारों की मदद के आरोप में जेल

जब ईरान की सरकार उन्हें रोक पाने में नाकाम रही तो नर्गिस पर कई आरोप लगाए| सरकार ने उन पर कैदियों के परिवारों की मदद करने का आरोप लगाया| इसके लिए 2011 में उन्हें पहली बार गिरफ्तार किया गया| 2 साल की जेल के बाद उन्हें जमानत मिली और 2015 में फिर जेल भेजा गया|

नर्गिस डिफेंडर ऑफ ह्यूमन राइट सेंटर की उप-प्रमुख है| यह एक गैर-सरकारी संगठन है जिसकी नींव शिरिन एबादी ने रखी थी| जिन्हें 2003 में नोबेल शांति पुरस्कार से नवाजा गया था|

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

8 साल से बच्चों को नहीं देखा

नर्गिस ने न्यूयॉर्क टाइम्स को दिए एक इंटरव्यू में बताया था कि वो 8 साल से अपने बच्चों से नहीं मिली है| नर्गिस जुड़वा बच्चियों अली और कियाना की मां है| दो बच्चियां नर्गिस के पति तागी रहमानी के साथ फ्रांस में रहती है|