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धूमधाम से निकली गधे की बारात, समाज में गरीब- अमीर के अंतर को गधे ने किया कम

धूमधाम से निकली गधे की बारात, समाज में गरीब- अमीर के अंतर को गधे ने किया कम


बरेली, 16 दिसंबर। एसआरएमएस रिद्धिमा में गुरुवार को नई दिल्ली के “बेला थिएटर कारवां” की ओर से नाटक “गधे की बारात” का मंचन हुआ। हरिभाई वडगाओंकर लिखित और अमर शा निर्देशित यह नाटक समाज के दोहरे मापदंड पर एक व्यंग है, जिसमें अमीर और गरीब के बीच की खाई को दिखाया गया। नाटक में दिखाया गया कि किस तरह समय बदल जाता है, लेकिन अमीर और गरीब के बीच की खाई कभी कम नहीं होती। नाटक का आरंभ इंद्र के दरबार से होती है। जहां एक अप्सरा नृत्य कर रही है। तभी नशे में घुत चित्रसेन उसका हाथ पकड़ लेता है। इस पर इंद्र चित्रसेन को मृत्यु लोक में गधे के रूप में जाने का शाप देते हैं। चित्रसेन के माफी मांगने पर इंद्र कहते हैं कि मृत्यु लोक में अंधेर नगरी चौपट राजा की बेटी से विवाह करने के बाद वो शाप मुक्त हो जाएगा। शाप मिलने के बाद चित्रसेन धरती पर आकर गधे के रूप में कल्लू के घर पहुंचता है। वहां का राजा सत्यधर्म वर्मा, जनता में लोकप्रियता हासिल करने के लिए घोषणा करता है, कि अगर कोई एक रात में राज महल से कुम्हार वाड़ा तक पुल बना देगा और राज्य में गरीब और अमीर के बीच अंतर को समाप्त कर देगा तो उसके साथ मैं अपनी बेटी राजकुमारी सत्यवती की शादी कर दूंगा। गधा बना चित्रसेन कल्लू से इस चुनौती को स्वीकार करने के लिए कहता है। चित्रसेव देव लोक से धरती लोक पर आया होता है, इसलिए वो रात भर में पुल का निर्माण कर देता है और उसका विवाह राजा की पुत्री से हो जाता है। राजा की पुत्री से शादी होने के बाद वह राजमहल चला जाता है और गरीब कल्लू जिसने उसे लंबे समय तक पाला वो वहीं गरीब का गरीब ही रह जाता है। नाटक में अमर शाह (कल्लू), करन कुकरेजा (चित्रसेन), अभि राणा (राजा), अनुराग सिंह (दीवान), मीनू राठी (राजकुमारी), हरीश नायक (फूफा), अलंकृत श्रीवास्तव (पंडित), अनंदिता डे (गंगी) ने अपनी भूमिकाएं शिद्दत से निभाई। इस मौके पर एसआरएमएस ट्रस्ट के चेयरमैन देव मूर्ति जी, आशा मूर्ति जी, ऋचा मूर्ति जी, गिरिधर गोपाल खंडेलवाल, डा. प्रभाकर गुप्ता, डा.अनुज कुमार, डा.रीटा शर्मा सहित शहर के गण्यमान्य लोग मौजूद रहे।