मामला आज नोएडा का है ,सेक्टर 93 A भ्रष्टाचार की नींव पर खड़ी बहु मंजिला इमारत को आज ढहा दिया गया l सुपर टेक कंपनी ने तमाम नियमों का उल्लंघन करते हुए इस बिल्डिंग का निर्माण किया , जिसमें सरकार के दो दर्जन से ज्यादा मुलाजिम भ्रष्टाचार में लिप्त थे l जहां आज सरकार की रजामंदी के बगैर आप अवैध निर्माण तो क्या एक ईट भी नहीं रख सकते वहां 40 मंजिला गगनचुंबी, कुतुब मीनार से भी ऊंचे टावर कैसे खड़े किए जा सकते हैं ? यकीनन सरकार के ही कुछ लोग साथ दे रहे थे भ्रष्टाचार में लिप्त थे, लालच के वशीभूत थे l इन लालची अफसरों के चलते यह टावर देखी -अनदेखी में हम सब के बीच खड़े हो गए l

सुप्रीम कोर्ट ने इसे नोएडा अथॉरिटी और सुपरटेक के बीच की नापाक मिलीभगत बताया l सुपरटेक एमेरल्ड कोर्ट के प्लान को 2004 में नोएडा अथॉरिटी में प्रपोज किया गया था l जो पहले 14 टावर से 17 टावर हुआ और 9 फ्लोर से 11 और बाद मे लालच और मिलीभगत में 16 और 17 टावर को 40 फ्लोर का बना दिया  l हालांकि नोएडा अथॉरिटी के भ्रष्टाचार में लिप्त दो दर्जन से ज्यादा लोग अब रिटायर हो चुके हैं l

लगभग 200 करोड़ की लागत से बने ट्विन टॉवर्स के मालिक आरके अरोड़ा के खिलाफ आम नागरिकों ने मुहिम चलाई जिसकी कीमत आज 800 करोड़ से ज्यादा आंकी जा रही है l लड़ाई सुप्रीम कोर्ट तक पहुंची और कोर्ट ने नियमों की अनदेखी में ट्विन टॉवर्स को ध्वस्त करने का आदेश जारी किया l

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