नए संसद भवन के भव्य प्रवेश द्वारों पर नजर डालने पर भारत का सांस्कृतिक इतिहास पूरी तरह दिखाई देता है| नए भवन में छह द्वार है| जिनका सांस्कृतिक और पौराणिक महत्व है और इन प्रतीकों को किन दिशाओं में लगाया गया है|

संसद के विशेष सत्र का आज दूसरा दिन है|जोकि देश के लोकतंत्र के लिए ऐतिहासिक होने वाला है| देश की संसदीय कार्यवाही आज से पुराने संसद भवन से नए भवन में शिफ्ट हो जाएगी| प्रधानमंत्री मोदी संविधान की एक प्रति लेकर पुराने भवन से नए भवन तक पैदल चलकर आएंगे|उनके पीछे राज्‍यसभा और लोकसभा के सभी सांसद पैदल चलते हुए नई संसद में प्रवेश करेंगे| नए संसद भवन में कई द्वार बनाए गए है| इन प्रतीकों का पौराणिक महत्व क्या है|

करोड़ों देशवासियों के लिए संसद शब्द सुनते ही गोलाकार बिल्डिंग की छवि बन जाती है| आजादी के कई घटनाएं इसी भवन में घटी थी|लेकिन अब इस छवि को संसद की नई बिल्डिंग में बदल दिया जाएगा|

संसद के पुराने भवन में भारतीय संस्कृति से जुड़ी प्रतिमा या प्रतीक नहीं है| जो इसे सुशोभित करता हो| लेकिन संसद की नई इमारत में यह बदल गया है| नए संसद भवन के भव्य प्रवेश द्वारों पर नजर डालने पर भारत का सांस्कृतिक इतिहास पूरी तरह दिखाई देता है|नए संसद भवन के आंतरिक भाग को तीन राष्ट्रीय प्रतीकों में बांटा गया है| कमल, मोर और बरगद का पेड़|

नए संसद में छह द्वार 

नए संसद भवन में छह द्वार हैं – गज द्वार, अश्व द्वार, गरुड़ द्वार, मकर द्वार, शार्दुला द्वार और हम्सा द्वार. इन सभी का नाम वास्तविक और पौराणिक प्राणियों के नाम पर रखा गया है| दरअसल, नए संसद भवन में सभी छह प्रवेश द्वारों पर शुभ जीवों की लाल बलुआ पत्थर की मूर्तियां लगी है|भारतीय संस्कृति में उनके महत्व, उनकी सौंदर्य उपस्थिति, सकारात्मक गुणों और वास्तु शास्त्र के अध्ययन के आधार पर उन्हें स्थापित किया गया है|

1- गज द्वार 

भवन के उत्तर की ओर प्रवेश द्वार की सुरक्षा के लिए एक गज यानी हाथी की मूर्ति स्थापित की गई है| यह जीव बुद्धि, धन और स्मृति का प्रतिनिधित्व करता है| इसके साथ ही यह द्वार निर्वाचित लोगों की आकांक्षाओं का भी प्रतीक है|

2- हम्सा द्वार 

हम्सा यानी हंस, देवी सरस्वती की सवारी है| प्रवेश द्वार पर हंस आत्म-बोध और ज्ञान का प्रतीक है| हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी सरस्वती ज्ञान की देवी है| प्रवेश द्वार पर हंस इस बात का प्रतीक है| कि संसद में ज्ञान सर्वोपरि होगा, ज्ञान न केवल पारंपरिक अर्थ में बल्कि देश को आगे ले जाने के लिए ज्ञान का भी अर्थ है|

3- शार्दुला द्वार

शार्दुला एक पौराणिक प्राणी है| जिसका शरीर शेर का लेकिन सिर घोड़ा, हाथी या तोते का होता है| इसे सबसे शक्तिशाली और जीवित प्राणियों में अग्रणी कहा जाता है| सरकार के मुताबिक, गेट पर यह जीव देश के लोगों की शक्ति का प्रतीक है|

4- गरुड़ द्वार 

नए संसद भवन के पूर्वी प्रवेश द्वार पर गरुड़ की मूर्ति को स्थापित किया गया है| गरुड़ को पक्षियों का राजा भी कहा जाता है| पौराणिक कथाओं के अनुसार, गरुड़ भगवान विष्णु की सवारी है| वो शक्ति और धर्म का प्रतिनिधित्व करता है| गरुड़ इस बात का प्रतीक है कि संसद लोगों की शक्ति है और जो लोग अंदर हैं वे अपने धर्म का पालन करेंगे|

5- मकर द्वार 

इस गेट का नाम पौराणिक समुद्री जीव के नाम पर रखा गया है| यह आधा स्तनपायी और आधी मछली होता है| मकर द्वार पुराने संसद भवन के गेट नंबर 12 की ओर है| यह जीव रक्षकों से जुड़ा हुआ है और अकसर हिंदू, बौद्ध स्मारकों में देखा जाता है|

6- अश्व द्वार 

अश्व घोड़े के लिए संस्कृत शब्द है| इसके बारे में ऋग्वेद में भी जिक्र है| भारतीय संस्कृति और इतिहास में घोड़ा को शक्ति, ताकत और साहस  का प्रतीक माना जाता है| शक्ति, ताकत और साहस वे गुण है| जो भारत की संसद और इसकी मजबूत लोकतांत्रिक जड़ों से जुड़े हैं|

संसद के नए भवन में कदम रखते हुए संस्कृति और टेक्नोलॉजी के मिश्रण के प्रतीक दिखाई देते हैं| यह दिखाते हैं कि आधुनिक प्रगति को ऐतिहासिक संस्कृति के साथ प्रभावी ढंग से जोड़ा जा सकता है| इस बिल्डिंग में एडवांस तकनीक के सिक्योरिटी सिस्टम लगाए गए है| जिनमें चेहरे की पहचान करने वाला सॉफ्टवेयर, सीसीटीवी कैमरे और विजिटर्स के लिए स्क्रीनिंग प्रक्रियाएं शामिल है| प्रवेश द्वार पर बायोमेट्रिक्स के साथ-साथ रेटिना स्कैन भी किया जाएगा| जोकि विश्व स्तरीय सुरक्षा सिस्टम है|

कैसा है नया संसद भवन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 दिसंबर 2020 को नए संसद भवन की आधारशिला रखी थी| 28 मई 2023 को इसका उद्घाटन हुआ. नया संसद भवन 29 महीने में बनकर तैयार हो गया| संसद भवन को त्रिकोणीय आकार में तैयार किया गया है ताकि ज्यादा से ज्यादा स्पेस को इस्तेमाल में लाया जा सके| ये 64,500 वर्गमीटर में बना हुआ है| इसे बनाने में करीब 1200 करोड़ रुपये की लागत आई है|

पुराने संसद भवन में लोकसभा में 545 और राज्यसभा में 245 सांसदों के बैठने की जगह है|जबकि, नए भवन में लोकसभा चैम्बर में 888 सांसद बैठ सकते है|संयुक्त संसद सत्र की स्थिति में 1,272 सांसद बैठ सकेंगे| जबकि, राज्यसभा चैम्बर में 384 सांसद आसानी से बैठ सकते है|नई संसद में लोकसभा चैंबर को राष्ट्रीय फूल कमल की थीम पर तैयार कराया गया है|

17 सितंबर को गज द्वार पर ध्वजारोहण

संसद के विशेष सत्र की शुरुआत से एक दिन पहले यानी 17 सितंबर को ही नए संसद भवन में राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया| उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने संसद भवन में राष्ट्रीय ध्वज फहराया| इस दौरान कांग्रेस के सीनियर नेता अधीर रंजन चौधरी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला, संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी के साथ-साथ राज्यसभा और लोकसभा में विभिन्न दलों के नेता भी मौजूद रहे| ध्वजारोहण करने से पहले धनखड़ और बिड़ला को सीआरपीएफ के पार्लियामेंट ड्यूटी ग्रुप ने अलग से गार्ड ऑफ ऑनर दिया|