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फ्रांस में लगी कवि तिरुवल्लुवर की प्रतिमा, PM मोदी बोले- ये सांस्कृतिक संबंधों का एक सुंदर प्रमाण

दक्षिण भारत के महान संत तिरुवल्लुवर की प्रतिमा का फ्रांस के सेर्गी शहर में रविवार को अनावरण किया गया| प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि यह प्रतिमा हमारे साझा सांस्कृतिक संबंधों का एक सुंदर प्रमाण है| विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बताया कि प्रधानमंत्री ने जुलाई में बैस्टिल दिवस के लिए पेरिस यात्रा के दौरान इस संबंध में घोषणा की थी और प्रतिमा का अनावरण इसका क्रियान्वयन है|

विदेश मंत्री जयशंकर ने एक्स पर पोस्ट किया कि बैस्टिल दिवस समारोह में शामिल होने के लिए फ्रांस की यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने प्रतिमा लगाये जाने के बारे में घोषणा की थी| फ्रांस के सेर्गी में तिरुवल्लुवर की प्रतिमा का उद्घाटन उसी घोषणा का क्रियान्वयन है|

विदेश मंत्री जयशंकर ने एक्स पर पोस्ट किया कि बैस्टिल दिवस समारोह में शामिल होने के लिए फ्रांस की यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने प्रतिमा लगाये जाने के बारे में घोषणा की थी| फ्रांस के सेर्गी में तिरुवल्लुवर की प्रतिमा का उद्घाटन उसी घोषणा का क्रियान्वयन है|

फ्रांस में भारत के राजदूत जावेद अशरफ ने भी एक्स पर एक पोस्ट में प्रतिमा के अनावरण की जानकारी दी| पीएम मोदी ने कहा कि फ्रांस के सेर्गी में तिरुवल्लुवर की प्रतिमा हमारे साझा सांस्कृतिक संबंधों का एक सुंदर प्रमाण है| तिरुवल्लुवर बुद्धिमत्ता एवं ज्ञान के प्रतीक है| उनका लेखन दुनियाभर में लाखों लोगों को प्रेरित करता है|

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि यह प्रतिमा हजारों लोगों को प्रेरित करेगी| यह दोनों फ्रांस और भारत के बीच सांस्कृतिक संबंधों का एक और प्रतीक है| बता दें कि फ्रांस में भारत के दूत जावेद अशरफ ने भी ट्वीट कर प्रतिमा के अनावरण की जानकारी दी| विदेश मंत्री ने बताया कि मूर्ति की स्थापना राजधानी पेरिस के पास सेर्गी शहर में किया गया है| इस उद्घाटन कार्यक्रम में सेर्गी के मेयर जीनडॉन और पुडुचेरी के मंत्री के लक्ष्मीनारायण समेत कई अधिकारी और नेता मौजूद रहे|

 

कि उत्तर भारत में तुलसीदास, सूरदास, कबीर और रसखान का जो स्थान है, वही दक्षिण भारत में संत एवं प्रख्यात कवि तिरुवल्लुवर का है| दक्षिण भारत में उनकी रचनाओं को लोग रामचरितमानस की तरह पढ़ते है| कई विश्वविद्यालयों में संत तिरुवल्लुवर पर आधारित शोधपीठ विद्यमान है. संत तिरुवल्लुवर का जन्म ईसा पूर्व पहली शताब्दी में हुआ था| तब से आज तक उनके ग्रंथ दक्षिण भारत के चारों राज्यों में घर-घर में मौजूद है|